स्वस्थ जीवन
Thursday 26 November 2015
स्वस्थ जीवन: सावधान !खास कर चाइना के उत्पाद से
स्वस्थ जीवन: सावधान !खास कर चाइना के उत्पाद से: सावधान ! सोंच -समझकर ही भोजन और उसके अवयव को इस्तेमाल करें -- खास कर चाइना के उत्पाद आपको सोच-समझकर ही खाना में किसी चीज को सम्मिलि...
Thursday 10 September 2015
Tuesday 10 January 2012
स्वस्थ जीवन: मुलहठी की महिमा और मानव स्वास्थ्य में इसका महत्त्व...
स्वस्थ जीवन: मुलहठी की महिमा और मानव स्वास्थ्य में इसका महत्त्व...: आईये हम और आप समझे मुलहठी की महिमा और मानव स्वास्थ्य में इसका महत्त्व ! कुछ और उपयोग है तो बताये, जिससे यह मानव हित में उपयोग ज्यादा से ज्या...
मुलहठी की महिमा और मानव स्वास्थ्य में इसका महत्त्व
आईये हम और आप समझे मुलहठी की महिमा और मानव स्वास्थ्य में इसका महत्त्व ! कुछ और उपयोग है तो बताये, जिससे यह मानव हित में उपयोग ज्यादा से ज्यादा हो सके.
मुलहठी ऊँचे इलाकों में पैदा होने वाली सर्वोपलब्ध औषधि है । सदियों से इसे आमाशय के रोगों में सफलता से प्रयुक्त किया जाता रहा है । आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने इसके गुणों को दृष्टिगत रख उसके जैव सक्रिय संघटक (एक्टिव-प्रिंसिपल) कार्बीनोक्सोलोन के कैप्सूल व गोलियाँ बनाकर अम्लपित्त के रोगियों में उसका प्रयोग किया तो परिणाम प्राकृतिक रूप से दिए जाने पर होने वाले लाभों की तुलना में कतई उत्साहवर्धक नहीं थे । ड्यूडनल अल्सर नामक पेट के छालों में इसका प्रभाव नहीं के बराबर व गैस्टि्रक अल्सर में कुछ मात्रा में पाया गया है । वैज्ञानिकों ने जब कारण खोजे तो पाया कि जब तक कैप्सूल रूप में दी गई औषधि आमाशय में अपना प्रभाव डालती है, वहाँ उत्सर्जित अन्य एन्जाइम्स, रसायन उसे प्रभावहीन कर देते हैं ।
इस पर कुछ चिकित्सकों का ध्यान प्राकृतिक रूप से औषधि को कैप्सूल में रखकर खिलाने पर गया । डॉ. डेविस एवं डॉ. रीड के इस संबंध में शोध निष्कर्षों का विवरण गुडमैन-गिलमैन की पुस्तक दफारमेकॉलॉजीकल बेसिक ऑफ थेराप्यूटिक्स (1980 संस्करण) में छपा है, जिसमें उन्होंने कार्बीनिक्सोलोन के विशिष्ट प्रयोगों की कण्ट्रोल्डट्रायल से कई अम्ल पित्त व आमाश व्रण के रोगियों को स्वस्थ किया । अपने रेशों व सक्रिय संघटक के सम्मिश्रण प्रभाव से मुलहठी अब एक ख्याति प्राप्त औषधि का दर्जा प्राप्त कर चुकी है ।
फसबूक से मानवहित उधृत.
मुलहठी ऊँचे इलाकों में पैदा होने वाली सर्वोपलब्ध औषधि है । सदियों से इसे आमाशय के रोगों में सफलता से प्रयुक्त किया जाता रहा है । आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने इसके गुणों को दृष्टिगत रख उसके जैव सक्रिय संघटक (एक्टिव-प्रिंसिपल) कार्बीनोक्सोलोन के कैप्सूल व गोलियाँ बनाकर अम्लपित्त के रोगियों में उसका प्रयोग किया तो परिणाम प्राकृतिक रूप से दिए जाने पर होने वाले लाभों की तुलना में कतई उत्साहवर्धक नहीं थे । ड्यूडनल अल्सर नामक पेट के छालों में इसका प्रभाव नहीं के बराबर व गैस्टि्रक अल्सर में कुछ मात्रा में पाया गया है । वैज्ञानिकों ने जब कारण खोजे तो पाया कि जब तक कैप्सूल रूप में दी गई औषधि आमाशय में अपना प्रभाव डालती है, वहाँ उत्सर्जित अन्य एन्जाइम्स, रसायन उसे प्रभावहीन कर देते हैं ।
इस पर कुछ चिकित्सकों का ध्यान प्राकृतिक रूप से औषधि को कैप्सूल में रखकर खिलाने पर गया । डॉ. डेविस एवं डॉ. रीड के इस संबंध में शोध निष्कर्षों का विवरण गुडमैन-गिलमैन की पुस्तक दफारमेकॉलॉजीकल बेसिक ऑफ थेराप्यूटिक्स (1980 संस्करण) में छपा है, जिसमें उन्होंने कार्बीनिक्सोलोन के विशिष्ट प्रयोगों की कण्ट्रोल्डट्रायल से कई अम्ल पित्त व आमाश व्रण के रोगियों को स्वस्थ किया । अपने रेशों व सक्रिय संघटक के सम्मिश्रण प्रभाव से मुलहठी अब एक ख्याति प्राप्त औषधि का दर्जा प्राप्त कर चुकी है ।
फसबूक से मानवहित उधृत.
Wednesday 30 March 2011
स्वस्थ जीवन: ग्लूकोमा से आँखों को बचाए, कैसे?
स्वस्थ जीवन: ग्लूकोमा से आँखों को बचाए, कैसे?: "NAV BHARAT TIMES के अनुसार आप भी सावधान होकर इससे सीख ले और बचे, समय से इलाज कराये.छुपकर नजर छीनता है ग्लूकोमा 13 Mar 2011, 1021 hr..."
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